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ये कैसा समय

मैं, लेखनी और जिंदगी
मैं, लेखनी और जिंदगी
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ये कैसी ईमानदारी
जिसके नेत्रत्ब में करोड़ों का घपला हो
ये कहाँ की सरदारी
जब कोई दुश्मन आपके घर में आ धमके
और आप स्थानीय समस्या बोलें
ये कैसा बद्दपन
कि पडोसी मुल्क आपके सैनिकों के सर काट डालें
और आप इसकी उपेछा करतें रहें
ये कैसी निति कि
कोई भी मुल्क आपकी बातों को गम्भीरता से ना लें
और जब मौका मिले पलट जाये .
ये कैसी सुरछा
कि
देश की गुड़िया और बेटियां अपने को खतरें में महसूस करें
और
करोड़ों भुखमरी के शिकार बाले देश में
चन्द लोगों के रहने के लिए अरबों फुकनें बालें अम्बानी
की सुरछा के लिए
सरकार नियमों में परिबर्तन के लिए
ब्याकुल लगे .
ये कैसा नशा कि
पानी की एक एक बूंद को तरसने को मजबूर
लोगों को उनकी दशा पर छोड़ कर
सस्ते पानी के टैंकर देकर
हरे भरे मैदान में
क्रिकेट का मजा राजनेता लें .
ये कैसा समय
राम जाने …….

प्रस्तुति

मदन मोहन सक्सेना

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