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होली है

मैं, लेखनी और जिंदगी
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होली है

मन से मन भी मिल जाये , तन से तन भी मिल जाये
प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है

मौसम आज रंगों का छायी अब खुमारी है
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है

ले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है

क्या जीजा हों कि साली हों ,देवर हो या भाभी हो
दिखे रंगनें में रंगानें में , सभी मशगूल होली है

ना शिकबा अब रहे कोई , ना ही दुश्मनी पनपे
गले अब मिल भी जाओं सब, आयी आज होली है

प्रियतम क्या प्रिया क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं
चलो हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है .

रंगों का त्योहार होली, हर बार की तरह इस बार भी आया है। उल्लास और खुशियां लेकर। हमेशा की तरह..लेकिन वक्त है कि थमता नहीं। अपने साथ बस यादों का गुलदस्ता और बड़ा बनाता चला जा रहा है। लेकिन होली का त्योहार इस गुलदस्ते के रंग-बिरंगे खुशबु वाले फूलों का गुलदस्ता बनकर फिर हमारा साथ देने आया है। यह रंगों का त्योहार आपके जीवन में हर रंग घोले। आप सब विस्तार पाओ, अपनी सीमाओं में, आकांक्षाओं में। तरक्की करें। आगे बढ़ें।…शुभकामनाओं के साथ आप सब को बहुत बहुत होली मुबारक

मदन मोहन सक्सेना

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