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चुनाब के नतीजें
इस बार के नतीजों से कुछ राजनितिक दलों को ये सबक मिला है कि ज़ात पात ,धर्म निरपेक्षता के खोखले नारों से जनता को बहुत अधिक देर तक बरगलाया नहीं जा सकता। आदमी किसी भी धर्म का हो किसी भी जाति का हो सबको अपनें लोगों के बीच सुख शांति से रहना अच्छा लगता है। सबको दो जून की रोटी चाहियें सबको बच्चों को अच्छी शिक्षा चाहियें। जाति की राजनीती करके समाजबाद के नाम पर कुछ लोग जरूर परिबार बाद पोषित हैं।
जिस तरह से पिछले दस सालोें से जनता मँहगाई ,बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार से जूझ रही थी और राजनेता जिस तरह से असम्बेदन हीनता का परिचय दे रहे थे। ये तो होना ही था। इस चुनाब ने ये भी बता दिया कि अन्याय का साथ देने बाले को भी अंजाम भुगतना पड़ता है। सपा ,बसपा ,डी एम के ,आर एल डी की हालत कुछ ये ही बयां कर रही है। जनता ने ये भी अहसास करा दिया कि सिर्फ आरोप लगानें से हो कोई ईमानदार नहीं बन जाता , जनता का भरोसा जीतने के लिए कुछ करके भी दिखना पड़ता है। आप का हाल ये ही बताता है। टी एम सी ,ए आई डी एम के ,बी जे डी की जीत ये प्रदर्शित करती है की जनता को अच्छा शासन देने बाली पार्टी को बार बार चुनने से भी कोई गुरेज नहीं है। सत्ता पक्ष की करारी हार कांग्रेस को चिंतन करने पर मजबूर करती है कि ये हालात क्यों हुए। ये अलग बात है कि पार्टी कितना बिचार करती है।
अबाम ने अपना फैसला सुना दिया है देखना होगा अबाम पर नतीजें कैसे असर डालतें हैं
मदन मोहन सक्सेना
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