Menu
blogid : 10271 postid : 1260796

ग़ज़ल ( मुहब्बत है इश्क़ है प्यार है या फिर कुछ और )

मैं, लेखनी और जिंदगी
मैं, लेखनी और जिंदगी
  • 211 Posts
  • 1274 Comments

लोग कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती है
हम नजरें भी मिलाते हैं तो चर्चा हो जाती है.

दिल पर क्या गुज़रती है जब वह दूर होते हैं
पाते पास उनको हैं तो रौनक आ जाती है .

आकर के ख्यालों में क्यों नीदें वे चुराते हैं
रहते दूर जब हमसे तो हर पल याद आती है.

हमको प्यार है उनसे करते प्यार वह हमको
ये बात रहती दिल में है ये कही नहीं जाती है.

चार पल की जिंदगी में चन्द साँसों का सफर
अपने आजमाते हैं कभी किस्मत आज़माती है .

मुहब्बत है इश्क़ है प्यार है या फिर कुछ और
इक शख्श की सूरत “मदन ” दिल को बस भाती है.

ग़ज़ल ( मुहब्बत है इश्क़ है प्यार है या फिर कुछ और )
मदन मोहन सक्सेना

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply